
जाति जनगणना अब एक राजनीतिक हथियार बन चुका है, जिसे सभी दल अपने अनुसार परिभाषित कर रहे हैं। भाजपा जहां इसे “विकास का आंकलन” बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे “सामाजिक न्याय की नींव” बता रही है। यह तय है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद से लेकर सड़कों तक बहस का केंद्र रहेगा।
देश की राजनीति में इन दिनों जाति जनगणना एक बड़ा और संवेदनशील मुद्दा बनकर उभरा है। खासकर जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद क्षेत्रीय समीकरण बदलते जा रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों इस विषय पर आमने-सामने आ गए हैं। इस मुद्दे को लेकर अब खुला आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है, और राजनीतिक दल इस विषय का इस्तेमाल एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा करने के लिए कर रहे हैं।
जाति जनगणना की मांग भारत में दशकों से उठती रही है, लेकिन हाल के वर्षों में यह एक केंद्रीय राजनीतिक मुद्दा बन गया है। कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आती है तो वह जाति आधारित जनगणना को लागू करेगी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को “समाज में न्याय और प्रतिनिधित्व” से जोड़ा और इसे अपने ‘न्याय यात्रा’ अभियान का प्रमुख हिस्सा बनाया।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के समर्थन को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में एक घोषणा की, जिससे यह प्रतीत हुआ कि भाजपा भी अब जाति जनगणना के पक्ष में है। इसके बाद राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस के वादों की नकल कर रही है और अब श्रेय लेने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस कर रही है भ्रम फैलाने की राजनीति : भाजपा
शिमला से भाजपा सांसद सुरेश कश्यप ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा,
“राहुल गांधी जानबूझकर झूठ बोल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने जब सामाजिक न्याय की दिशा में कदम उठाया है, तब कांग्रेस उसे अपना बताकर जनता को गुमराह कर रही है।“
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा का निर्णय केवल वोटबैंक की राजनीति नहीं है, बल्कि यह एक समावेशी विकास नीति का हिस्सा है। कश्यप ने राहुल गांधी से यह भी पूछा कि कांग्रेस ने अपने 10 वर्षों के शासनकाल में जाति जनगणना को लागू क्यों नहीं किया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने जाति जनगणना के मुद्दे को देर से जरूर उठाया, लेकिन उसका कार्यान्वयन तेज़ी से कर जनता में संदेश भेजने की कोशिश की गई है कि केंद्र सरकार सभी वर्गों के लिए समान रूप से काम कर रही है।
दूसरी ओर, कांग्रेस इस मुद्दे पर नैतिक बढ़त लेने की कोशिश कर रही है, यह दर्शाकर कि उसने सबसे पहले सामाजिक न्याय की बात की थी और अब भाजपा उसी लाइन पर चल रही है।
प्रख्यात राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव के अनुसार,
“जाति जनगणना का मुद्दा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक पुनर्संरचना से भी जुड़ा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस मुद्दे को अपने–अपने राजनीतिक एजेंडे में फिट करने की कोशिश कर रहे हैं।”
विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं
समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) जैसे क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस का समर्थन करते हुए भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह चुनावी लाभ के लिए जातिगत मुद्दों का सहारा ले रही है। वहीं, भाजपा सहयोगी जेडीयू ने इस पर संतुलित प्रतिक्रिया दी है और केंद्र सरकार से पारदर्शिता की मांग की है।