
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस गर्मी के मौसम में कश्मीर घाटी में पर्यटन में भारी गिरावट की पुष्टि की है। उन्होंने इसके पीछे हालिया सुरक्षा चिंताओं और भारत–पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को जिम्मेदार ठहराया है।
पत्रकारों से बातचीत में अब्दुल्ला ने कहा,
“इस समय यहां पर्यटक लगभग नहीं के बराबर आ रहे हैं। पर्यटन क्षेत्र को काफी गहरी चोट पहुंची है।”उन्होंने बताया कि सरकार की पहली प्राथमिकता अमरनाथ यात्रा का सुरक्षित और शांतिपूर्ण संचालन सुनिश्चित करना है, जो जल्द ही शुरू होने वाली है।
अमरनाथ यात्रा, जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं को पहलगाम स्थित पवित्र गुफा तक खींचती है, स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत-पाक के बीच बढ़ती कूटनीतिक और सीमाई तनातनी के चलते इस बार पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर वर्तमान में संघर्षविराम बरकरार है और हाल के दिनों में किसी प्रकार का उल्लंघन नहीं हुआ है। प्रभावित इलाकों में नुकसान का आकलन किया जा रहा है, और केंद्र सरकार के सहयोग से मुआवज़ा वितरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजने के निर्णय का स्वागत किया, जो दुनिया को कश्मीर मुद्दे पर भारत का पक्ष बताएगा। उन्होंने इस पहल की तुलना 2001 संसद हमले के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा की गई एक समान कोशिश से की।
अंत में, उमर अब्दुल्ला ने आशा जताई कि यदि यात्रा शांति से संपन्न होती है, तो इससे पर्यटकों का विश्वास फिर से बहाल होगा और कश्मीर का पर्यटन क्षेत्र एक बार फिर रफ्तार पकड़ सकेगा।