फ्रांस के नीस में IALA काउंसिल के द्वितीय सत्र में उपाध्यक्ष के रूप में भारत की सक्रिय भागीदारी

भारत ने समुद्री नौवहन सहायता हेतु अंतरराष्ट्रीय संगठन (IALA) की काउंसिल के दूसरे सत्र में उपाध्यक्ष के रूप में सक्रिय भागीदारी निभाई। यह सत्र फ्रांस के नीस शहर में आयोजित किया गया। IALA काउंसिल इस अंतर-सरकारी संगठन की प्रमुख निर्णय लेने वाली संस्था है, जो समुद्री नौवहन सहायता के मानकों को निर्धारित करती है।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व श्री टी.के. रामचंद्रन, सचिव, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने किया। उनके साथ श्री मुकेश मंगल, संयुक्त सचिव और श्री कार्तिक चेंसुदर, निदेशक भी शामिल थे।

उद्घाटन सत्र के दौरान सचिव (PSW) ने मुख्य भाषण दिया, जिसमें उन्होंने IALA के साथ भारत के लंबे संबंधों और नौवहन सहायता प्रणाली तथा पोत यातायात सेवाओं में हुई प्रगति को रेखांकित किया। उन्होंने लाइटहाउस और लाइटशिप महानिदेशालय (DGLL) की प्रमुख पहलों का उल्लेख किया, जैसे कि:

  • देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों में पोत यातायात सेवाओं का एकीकरण
  • कोलकाता स्थित मरीन नेविगेशन ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों की योजना

उन्होंने सभी सदस्य देशों को दिसंबर 2025 में मुंबई में आयोजित होने वाली तीसरी IALA महासभा और सन् 2027 में आयोजित 21वीं IALA कॉन्फ्रेंस में भाग लेने का औपचारिक निमंत्रण भी दिया।

भारत 1957 से IALA का सदस्य है और 1980 से DGLL के माध्यम से इसकी काउंसिल में लगातार प्रतिनिधित्व कर रहा है। भारत ने समुद्री नौवहन सहायता के मानकीकरण और क्षमतावर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे सुरक्षित, कुशल और पर्यावरणीय रूप से उत्तरदायी समुद्री संचालन सुनिश्चित हो सके।

सिंगापुर में हुई पहली महासभा में IALA के उपाध्यक्ष के रूप में भारत का निर्वाचन इसके वैश्विक प्रभाव और रणनीतिक समुद्री दृष्टिकोण का प्रमाण है।

IALA काउंसिल के इस सत्र में जिन प्रमुख तकनीकी विषयों पर चर्चा हुई, वे थे:

  • समुद्री नौवहन सहायता के मानकों का सामंजस्य
  • ऐतिहासिक लाइटहाउस विरासत का संरक्षण
  • दृश्य AtoN (Aids to Navigation) के लिए समन्वित इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) प्रोटोकॉल
  • मेरीटाइम सर्विस रजिस्ट्री विनिर्देश
  • 2025 और 2026 के लिए IALA की कार्ययोजना

भारत की अग्रणी भूमिका की सराहना की गई और काउंसिल के सदस्यों ने भविष्य में भारत द्वारा आयोजित किए जाने वाले प्रमुख कार्यक्रमों का स्वागत किया। भारत की सक्रिय भागीदारी समुद्री सुरक्षा, नवाचार और धरोहर संरक्षण के प्रति उसकी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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