
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग एक बार फिर जोर पकड़ती जा रही है। मराठा समाज के नेता और कार्यकर्ता राज्य सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए अब निर्णायक आंदोलन की ओर बढ़ रहे हैं। हाल ही में मराठा आरक्षण के प्रमुख चेहरे मनोज जरांगे पाटिल ने सरकार को स्पष्ट अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर तय समय सीमा के भीतर आरक्षण लागू नहीं किया गया, तो वे उग्र आंदोलन शुरू करेंगे।
मनोज जरांगे ने कहा, “हमने सरकार को पर्याप्त समय दिया है। अब जनता और युवाओं का सब्र टूट रहा है। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो 1 मई से बड़ा जनआंदोलन शुरू होगा।” उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि इस बार आंदोलन सिर्फ़ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक होगा।
मराठा समुदाय लंबे समय से शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। पहले भी राज्य सरकार ने आरक्षण देने की कोशिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की 50% सीमा तय किए जाने के कारण वह फैसला अमान्य ठहराया गया। इसके बाद से समाज में असंतोष गहराता जा रहा है।
हालांकि महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि वह मराठा समाज की मांगों के प्रति संवेदनशील है और कानूनी तरीके से समाधान निकालने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी हाल ही में बयान दिया कि सरकार जल्द ही कोई ठोस निर्णय लेगी, जिससे समाज का भरोसा कायम रहे।
लेकिन आंदोलनकारियों का कहना है कि सिर्फ़ बयानबाज़ी से कुछ नहीं होगा। उन्हें ठोस कानून चाहिए जो अदालत में टिक सके और जिससे मराठा युवाओं को वास्तविक लाभ मिल सके।
राज्य के कई हिस्सों में इस मुद्दे को लेकर धरना-प्रदर्शन और रैलियाँ हो रही हैं। कई जगहों पर पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है ताकि शांति बनी रहे। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि सरकार इस अल्टीमेटम का क्या जवाब देती है और क्या मराठा समाज की बरसों पुरानी मांग को लेकर कोई स्थायी हल निकल पाता है या नहीं।